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दिल खुलता है वाँ सोहबत-ए-रिंदाना जहाँ हो
मैं ख़ुश हूँ उसी शहर से मयख़ाना जहाँ हो
उन उजड़ी हुईं बस्तियों में दिल नहीं लगता
है जी में, वहीं जा बसे वीराना जहाँ हो
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दिल खुलता है वाँ सोहबत-ए-रिंदाना जहाँ हो
मैं ख़ुश हूँ उसी शहर से मयख़ाना जहाँ हो
उन उजड़ी हुईं बस्तियों में दिल नहीं लगता
है जी में, वहीं जा बसे वीराना जहाँ हो
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